देश के नाम एक आवाज़: क्या अब भी हम चुप रहें?
पहलगाम हमला सिर्फ एक स्थान विशेष पर हुआ आतंकी वारदात नहीं है, ये हमारे पूरे देश के दिल पर हमला है। आज जब हम अपने-अपने कामों में व्यस्त थे, कहीं ना कहीं एक कोना ऐसा था जहाँ मातम पसरा हुआ था—क्योंकि हमारे अपने एक बार फिर आतंक की भेंट चढ़ गए।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया हमले ने एक बार फिर हमारी आत्मा को झकझोर दिया। निहत्थे, बेगुनाह भारतीयों पर हमला सिर्फ खून नहीं बहाता—ये हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को ललकारता है।
कब तक?
कब तक हम देश के नागरिक यूं ही अपनों की चिताएं जलते देखेंगे? कब तक हम सिर्फ सोशल मीडिया पर ‘RIP’ लिखकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेंगे?
क्या अब समय नहीं आ गया कि हम एकजुट होकर न केवल आवाज़ उठाएं, बल्कि एक ऐसा भारत बनाएँ जहां कोई माँ अपने बेटे को यूं ना खोए?
पहलगाम की चीखें
पहलगाम—जहाँ कुदरत अपने सबसे खूबसूरत रूप में दिखती है, आज वहाँ बारूद की बू है, चीखों की गूंज है।
वो लोग जो वहाँ सुकून ढूँढने गए थे, आज उनके घरों में मातम पसरा है।
क्या ये इंसानियत है? क्या ये आज़ादी का अर्थ है?
नहीं, ये कायरता है। और इस कायरता के खिलाफ अब भारत को शांत नहीं रहना चाहिए।
एक श्रद्धांजलि, एक संकल्प
इस ब्लॉग के माध्यम से हम उन सभी वीर नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जो इस नृशंस हमले में शहीद हुए।
लेकिन श्रद्धांजलि सिर्फ मोमबत्ती जलाने से नहीं मिलती—श्रद्धांजलि तब होगी जब हम एक राष्ट्र बनकर खड़े होंगे, आतंक के हर चेहरे को पहचानकर उसका अंत करेंगे।
देश के लिए एक सोच, एक भावना
अब वक़्त आ गया है कि हम सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने से आगे बढ़ें,
हम एक आवाज़ बनें—जो दिल्ली से लेकर कश्मीर तक गूंजे।
हम हर मंच पर ये कहें:
“भारत चुप नहीं बैठेगा, भारत जवाब देगा।”
जय हिंद।
भारत माता की जय।
सिर्फ हमें एक ही नहीं होना है बल्कि एक होकर आतंकियों और पाकिस्तानियों को मुंहतोड जवाब भी देना होगा